White उधर की जानेगा उधरवाला
इधर की जानेगा इधर वाला
मरहमों की तादात न पूछ मेरे घर में
कोई हो तो दे असरवाला..
न जाने क्या क्या बंद हैं मेरी मुट्ठी में
खोलेगा कोई जिगरवाला..
कितने तो खत लिखे बुलाने गाँव ने
कभी न लौटा शहरवाला..
जमाने की नज़र से बच जाती है वो
बांधकर ताबीज नजरवाला..
©अज्ञात
#अंदाज-ए-बयां