White उधर की जानेगा उधरवाला इधर की जानेगा इधर वाल | हिंदी शायरी

"White उधर की जानेगा उधरवाला इधर की जानेगा इधर वाला मरहमों की तादात न पूछ मेरे घर में कोई हो तो दे असरवाला.. न जाने क्या क्या बंद हैं मेरी मुट्ठी में खोलेगा कोई जिगरवाला.. कितने तो खत लिखे बुलाने गाँव ने कभी न लौटा शहरवाला.. जमाने की नज़र से बच जाती है वो बांधकर ताबीज नजरवाला.. ©अज्ञात"

 White उधर की जानेगा उधरवाला 
इधर की जानेगा इधर वाला 

मरहमों की तादात न पूछ मेरे घर में 
कोई हो तो दे असरवाला..

न जाने क्या क्या बंद हैं मेरी मुट्ठी में 
खोलेगा कोई जिगरवाला..

कितने तो खत लिखे बुलाने गाँव ने
कभी न लौटा शहरवाला..

जमाने की नज़र से बच जाती है वो 
बांधकर ताबीज नजरवाला..

©अज्ञात

White उधर की जानेगा उधरवाला इधर की जानेगा इधर वाला मरहमों की तादात न पूछ मेरे घर में कोई हो तो दे असरवाला.. न जाने क्या क्या बंद हैं मेरी मुट्ठी में खोलेगा कोई जिगरवाला.. कितने तो खत लिखे बुलाने गाँव ने कभी न लौटा शहरवाला.. जमाने की नज़र से बच जाती है वो बांधकर ताबीज नजरवाला.. ©अज्ञात

#अंदाज-ए-बयां

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