आज का ज्ञान #GOOD_MORNING_FRIENDS
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*कितना भी समेट लो..*
*हाथों से फिसलता ज़रूर है..*
*ये वक्त है साहब..*
*बदलता ज़रूर है..*
*इंसान की अच्छाई पर,*
*सब खामोश रहते हैं...*
*चर्चा अगर उसकी बुराई पर हो,*
*तो गूँगे भी बोल पड़ते हैं..!!!*
*कोई चाहे कितना भी*
*दांवपेच खेल ले.,*
*आखिर में..*
*हुकुम का इक्का तो*
*कुदरत ही फेंकती हे.!*
🌹🌹🌹 #सुप्रभात🌹🌹🌹
©Rihan khan
#aajkagyaan