दिन बचपन के बड़े हसीन; जैसे उड़ती तितली,बसंत के दि | हिंदी Poetry Vide

"दिन बचपन के बड़े हसीन; जैसे उड़ती तितली,बसंत के दिन दिन थे अजब- गज़ब, अजब- गजब खेलो मे लीन जलती दुपहरी आम पेड़, फीके गुद्दे गुठली खेल बच्चो की टोली, आंख मिचौली; चोरा करते लीची चोरी चोरी गन्ने, बेर, अमरूदों के ढेर; अब सब फीके, यादे सब शेर धमा चौकड़ी ढोलक की ताल, नाचते थे सब यार कीर्तन- भजन पर धमाल जिसको देखा अपना माना, तब नहीं था दिल इतना सायना सुख - दुःख के चक्करों से दूर, जीवन था बस खेल म मग्रूर। पर समय बदलते किसने देखा; बदला जब, कोई रोक न सक्या जिम्मेदारी ने पैर पसारा, बचपन का फिर दम निकाला कंधे पड़ते भारी जान, मोह - माया सब मुश्किल काम। दिल इठलाया,खुशी की भान; बचपन की यादों ने जब ली मन पर कमान। 💖"

दिन बचपन के बड़े हसीन; जैसे उड़ती तितली,बसंत के दिन दिन थे अजब- गज़ब, अजब- गजब खेलो मे लीन जलती दुपहरी आम पेड़, फीके गुद्दे गुठली खेल बच्चो की टोली, आंख मिचौली; चोरा करते लीची चोरी चोरी गन्ने, बेर, अमरूदों के ढेर; अब सब फीके, यादे सब शेर धमा चौकड़ी ढोलक की ताल, नाचते थे सब यार कीर्तन- भजन पर धमाल जिसको देखा अपना माना, तब नहीं था दिल इतना सायना सुख - दुःख के चक्करों से दूर, जीवन था बस खेल म मग्रूर। पर समय बदलते किसने देखा; बदला जब, कोई रोक न सक्या जिम्मेदारी ने पैर पसारा, बचपन का फिर दम निकाला कंधे पड़ते भारी जान, मोह - माया सब मुश्किल काम। दिल इठलाया,खुशी की भान; बचपन की यादों ने जब ली मन पर कमान। 💖

BACHPAN KI GALI challenge
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27- june- 2019

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