दिन बचपन के बड़े हसीन; जैसे उड़ती तितली,बसंत के दिन
दिन थे अजब- गज़ब, अजब- गजब खेलो मे लीन
जलती दुपहरी आम पेड़, फीके गुद्दे गुठली खेल
बच्चो की टोली, आंख मिचौली; चोरा करते लीची चोरी चोरी
गन्ने, बेर, अमरूदों के ढेर; अब सब फीके, यादे सब शेर
धमा चौकड़ी ढोलक की ताल, नाचते थे सब यार कीर्तन- भजन पर धमाल
जिसको देखा अपना माना, तब नहीं था दिल इतना सायना
सुख - दुःख के चक्करों से दूर, जीवन था बस खेल म मग्रूर।
पर समय बदलते किसने देखा; बदला जब, कोई रोक न सक्या
जिम्मेदारी ने पैर पसारा, बचपन का फिर दम निकाला
कंधे पड़ते भारी जान, मोह - माया सब मुश्किल काम।
दिल इठलाया,खुशी की भान;
बचपन की यादों ने जब ली मन पर कमान। 💖
BACHPAN KI GALI challenge
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27- june- 2019