"कैसे आसमा को, ज़मी मिले
कई लोग थे, हमें तुम्हीं मिले
इसे हंसकर बताना,मेरा पता
तुम्हें ये गम अगर,कहीं मिले
कोई रोने वाला जाने दर्द मेरा
हंसकर हमसे गले,सभी मिले
हुज़ूम के क़हक़हा में सामिल
हमें कई लोग तो, दुखी मिले
दस्तख़त वहां करेंगे,याद रहे
जहां दौलत नहीं, खुशी मिले
©Manpreet Singh
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