White 2122 2122 212
आपके आगे ये सर झुका हुआ
आपका भी ये मंजर देखा हुआ
जी सके ना मर सके हम उम्र भर
तेरे यादो का ऐसा पहरा हुआ
ज़िन्दगी भर हम रहे तन्हा यहाँ
ना जमी ,ना आसमाँ ,अपना हुआ
आये जब भी महफ़िलो में हम तेरे
तुम्हे देखा गैर में खोया हुआ
निकले दर से तेरे हो बे आबरू
इस कदर तो ना कभी रुस्वा हुआ
कौन सा है गम बता दे सब मुझे
क्यों ये चहरा है तेरा उतरा हुआ
इस कदर छाये अँधेरे दिल में ये
ज़िन्दगी में फिर न वो सहरा हुआ
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
26/12/2016
©laxman dawani
#weather_today #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge