गीत मुझे लिखना है ऐसा,जिसमें बस आहें होंगी
दूर बहुत मंजिल होगी और, पथरीली राहें होंगी
सूरज आँख दिखायेगा और, बात बात पे टोकेगा
बहता दरिया बनके पसीना, राह हमारी रोकेगा
क़दम क़दम पर खड़ी मुसीबत,लेकर के चाहें होंगी
दूर बहुत मंजिल होगी और,,
अँधियारा होगा जीवन में, जुगनू काम चलायेंगे
जिनकी कोई नहीं एहमियत,वो भी आँख दिखायेंगे
हरएक अपने की ही हमपर,पैनी बड़ी निगाहें होंगी
दूर बहुत मंजिल होगी और,,
कुछ भी हो जाये पर हमको, आगे बढ़ते जाना है
देकर मात ठोकरों को और, मंजिल छूकर आना है
सचिन करले बुलन्द हौंसला, बाहों में बाहें होंगी
दूर बहुत मंजिल होगी और,,
गीत मुझे लिखना है ऐसा,जिसमें बस आहें होंगी
दूर बहुत मंजिल होगी और, पथरीली राहें होंगी
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत,हरियाणा
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©sachin goel
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