फिर उसने वहाँ बैठी भीड़ से रोटी माँगा। भीड़ को अपन | हिंदी Life

"फिर उसने वहाँ बैठी भीड़ से रोटी माँगा। भीड़ को अपनी मशगूलियत में यह खलल पसंद न आयी। भीड़ ने उसे कहा; "जा अपने बाप से माँग।" उसके होंठ खुलकर रह गये। वह नहीं कह सका कि उसका बाप ऐसी ही किसी भीड़ से रोटी माँगते मर गया था। 'सोच' ©मलंग"

 फिर उसने वहाँ बैठी भीड़ से रोटी माँगा।
भीड़ को अपनी मशगूलियत में यह खलल पसंद न आयी। 
भीड़ ने उसे कहा; "जा अपने बाप से माँग।" 
उसके होंठ खुलकर रह गये। 
वह नहीं कह सका कि
 उसका बाप ऐसी ही किसी भीड़ से रोटी माँगते मर गया था। 

'सोच'

©मलंग

फिर उसने वहाँ बैठी भीड़ से रोटी माँगा। भीड़ को अपनी मशगूलियत में यह खलल पसंद न आयी। भीड़ ने उसे कहा; "जा अपने बाप से माँग।" उसके होंठ खुलकर रह गये। वह नहीं कह सका कि उसका बाप ऐसी ही किसी भीड़ से रोटी माँगते मर गया था। 'सोच' ©मलंग

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