कई रातो से जाग रहा हु इन अंधेरों मे क्या तुम नींद | हिंदी शायरी

"कई रातो से जाग रहा हु इन अंधेरों मे क्या तुम नींद मुझे दे जाओगे? तकिया भीगा है मेरा खारे पानी से क्या तुम यादे अपनी ले जाओगे? टुकड़े टुकड़े हो गये दिल के मेरे क्या तुम इन्हे फिर से समेट जाओगे ? ओर राह ताक रहा हु दरवाजे पे तुम्हारी क्या तुम फिर से वापिस आ जाओगे? ©mr.vivek"

 कई रातो से जाग रहा हु इन अंधेरों मे
क्या तुम नींद मुझे दे जाओगे?
तकिया भीगा है मेरा खारे पानी से
क्या तुम यादे अपनी ले जाओगे?
टुकड़े टुकड़े हो गये दिल के मेरे
क्या तुम इन्हे फिर से समेट जाओगे ?
ओर राह ताक रहा हु दरवाजे पे तुम्हारी
क्या तुम फिर से वापिस आ जाओगे?

©mr.vivek

कई रातो से जाग रहा हु इन अंधेरों मे क्या तुम नींद मुझे दे जाओगे? तकिया भीगा है मेरा खारे पानी से क्या तुम यादे अपनी ले जाओगे? टुकड़े टुकड़े हो गये दिल के मेरे क्या तुम इन्हे फिर से समेट जाओगे ? ओर राह ताक रहा हु दरवाजे पे तुम्हारी क्या तुम फिर से वापिस आ जाओगे? ©mr.vivek

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