।।युद्ध ही अनिवार्य है।।
हे! ईश्वर सृष्टि के लेखक धारा का धैर्य अब शून्य हो रहा,
मान मर्यादा जो थी राम की आज का मानस स्वयं वो खो रहा।
निर्लज पापी खूब पनप रहे नारी का अपमान हो रहा
हे! ईश्वर सृष्टि के लेखक धारा का धैर्य अब शून्य हो रहा ।
मानवता की विजय हो सुनिश्चित विनती यही स्वीकार करो
धर्म युद्ध है मानवता का अब युद्ध को ही अनिवार्य करो।
शुद्धिकरण करो मानव मन का
अंतरण हो इस जीवन का
जीवन रक्षक सृष्टि के दाता तुम धरती पर आ जाओ
जिस रंग सृष्टि रंगी थी स्वामी वही रंग पुनः सजा जाओ।
©Arul Joshi
।।युद्ध ही अनिवार्य है।।
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