हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खु | हिंदी शायरी

"हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खुदा से कुछ और मांग आये है , वो रहे और उसकी आरज़ू रहे सलामत , दुआओ में इस बार , सिर्फ उसे साथ लाए है ।।"

 हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खुदा से कुछ  और मांग आये है ,
वो रहे और उसकी आरज़ू रहे सलामत ,
दुआओ में इस बार ,
सिर्फ उसे साथ लाए है ।।

हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खुदा से कुछ और मांग आये है , वो रहे और उसकी आरज़ू रहे सलामत , दुआओ में इस बार , सिर्फ उसे साथ लाए है ।।

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