खुद की नज़रों में टूटा हुआ तारा था मैं उनकी नज़रो | हिंदी Shayari Vid

" खुद की नज़रों में टूटा हुआ तारा था मैं उनकी नज़रों में मैं माह-ए-कामिल हुआ बा-खुदा तेरी मर्ज़ी क्या से क्या हुई मैं कब उनकी ज़िंदगी में शामिल हुआ हर लम्हा जो आज़ाबों में गुज़रता था उनके आने से खुशीयों से कामिल हुआ दीवार-ओ-दर की कैद से निकला मैं तू मेरी ज़िंदगी में जबसे दाखिल हुआ यकीं मुश्किल है अपनी खुशनसीबी पर पाकर उन्हें खोने के डर से ग़ाफ़िल हुआ"

खुद की नज़रों में टूटा हुआ तारा था मैं उनकी नज़रों में मैं माह-ए-कामिल हुआ बा-खुदा तेरी मर्ज़ी क्या से क्या हुई मैं कब उनकी ज़िंदगी में शामिल हुआ हर लम्हा जो आज़ाबों में गुज़रता था उनके आने से खुशीयों से कामिल हुआ दीवार-ओ-दर की कैद से निकला मैं तू मेरी ज़िंदगी में जबसे दाखिल हुआ यकीं मुश्किल है अपनी खुशनसीबी पर पाकर उन्हें खोने के डर से ग़ाफ़िल हुआ

#NaseebApna

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