White मैं झुक क्या गया, दुनियां कमजोर समझने लगी। अ | हिंदी कविता

"White मैं झुक क्या गया, दुनियां कमजोर समझने लगी। अभी वक्त गया नहीं,, घड़ियां लौटकर आने लगी। मैं अकेला छोड़ चला था, मेरे अंदर के घरवालों को। अब उठने की बारी है,, दिखाना है दुनियां वालों को। कायनात भी देखेगी अब, चिंगारी किसने जलाई है। कुछ बनकर आया हूं,, खुदा ने ईदी बरसाई है।। ©Satish Kumar Meena"

 White मैं झुक क्या गया,
दुनियां कमजोर समझने लगी।
अभी वक्त गया नहीं,,
घड़ियां लौटकर आने लगी।
मैं अकेला छोड़ चला था,
मेरे अंदर के घरवालों को।
अब उठने की बारी है,,
दिखाना है दुनियां वालों को।

कायनात भी देखेगी अब,
चिंगारी किसने जलाई है।
 कुछ बनकर आया हूं,,
खुदा ने ईदी बरसाई है।।

©Satish Kumar Meena

White मैं झुक क्या गया, दुनियां कमजोर समझने लगी। अभी वक्त गया नहीं,, घड़ियां लौटकर आने लगी। मैं अकेला छोड़ चला था, मेरे अंदर के घरवालों को। अब उठने की बारी है,, दिखाना है दुनियां वालों को। कायनात भी देखेगी अब, चिंगारी किसने जलाई है। कुछ बनकर आया हूं,, खुदा ने ईदी बरसाई है।। ©Satish Kumar Meena

चिंगारी किसने जलाई है

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