White पूरब से पश्चिम तक उत्तर से दक्षिण तक धरती से | हिंदी कविता

"White पूरब से पश्चिम तक उत्तर से दक्षिण तक धरती से आकाश तक नदी से पहाड़ तक जंगल से रेगिस्तान तक दर्रे से झरने तक इक छोर से क्षितिज तक अनंत ब्रह्माण्डों तक का मात्र दृग दर्शन ही नहीं; अपितु आत्म अनुभूति भी करनी है हां! मुझे यात्रा ज़रूर करनी है। ©Khushi Kandu"

 White पूरब से पश्चिम तक
उत्तर से दक्षिण तक
धरती से आकाश तक
नदी से पहाड़ तक
जंगल से रेगिस्तान तक
दर्रे से झरने तक
इक छोर से क्षितिज तक
अनंत ब्रह्माण्डों तक का
मात्र दृग दर्शन ही नहीं; अपितु
आत्म अनुभूति भी करनी है
हां! मुझे यात्रा ज़रूर करनी है।

©Khushi Kandu

White पूरब से पश्चिम तक उत्तर से दक्षिण तक धरती से आकाश तक नदी से पहाड़ तक जंगल से रेगिस्तान तक दर्रे से झरने तक इक छोर से क्षितिज तक अनंत ब्रह्माण्डों तक का मात्र दृग दर्शन ही नहीं; अपितु आत्म अनुभूति भी करनी है हां! मुझे यात्रा ज़रूर करनी है। ©Khushi Kandu

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