कभी- कभी इंसान सच मे थक जाता है। खामोश रहते-रहते;द | हिंदी विचार

"कभी- कभी इंसान सच मे थक जाता है। खामोश रहते-रहते;दर्द सहते-सहते।। सब्र करते-करते;उमीद रखते-रखते।। रिश्ते निभाते-निभाते;सफाई देते-देते।। और अपनो को मनाते-मनाते।।।। i love you my husband ji ©Vandana paswan"

 कभी- कभी इंसान सच मे थक जाता है।
खामोश रहते-रहते;दर्द सहते-सहते।।
सब्र करते-करते;उमीद रखते-रखते।।
रिश्ते निभाते-निभाते;सफाई देते-देते।।
और अपनो को मनाते-मनाते।।।।
i love you
my husband ji

©Vandana paswan

कभी- कभी इंसान सच मे थक जाता है। खामोश रहते-रहते;दर्द सहते-सहते।। सब्र करते-करते;उमीद रखते-रखते।। रिश्ते निभाते-निभाते;सफाई देते-देते।। और अपनो को मनाते-मनाते।।।। i love you my husband ji ©Vandana paswan

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