तुम हो ना सकी मेरी, थी तब ये शिकायत लकीरों  से, घट

"तुम हो ना सकी मेरी, थी तब ये शिकायत लकीरों  से, घटते नहीं है दर्द यू तन्हाइयो में रोने से, अधूरा नहीं था में तुम्हारे मेरे साथ ना होने से, लेकिन पुरा मालूम कर लिया खुद को तेरे मेरे पास ना होने से, हां आज कुछ महसूस किया तेरे उसके साथ होने से, खुश ज्यादा हूं तेरे मेरे पास ना होने से. ©Mayank Baghmar"

 तुम हो ना सकी मेरी, थी तब ये शिकायत लकीरों  से,
घटते नहीं है दर्द यू तन्हाइयो में रोने से,
अधूरा नहीं था में तुम्हारे मेरे साथ ना होने से,
लेकिन पुरा मालूम कर लिया खुद को तेरे मेरे पास ना होने से,
हां आज कुछ महसूस किया तेरे उसके साथ होने से, 
खुश ज्यादा हूं तेरे मेरे पास ना होने से.

©Mayank Baghmar

तुम हो ना सकी मेरी, थी तब ये शिकायत लकीरों  से, घटते नहीं है दर्द यू तन्हाइयो में रोने से, अधूरा नहीं था में तुम्हारे मेरे साथ ना होने से, लेकिन पुरा मालूम कर लिया खुद को तेरे मेरे पास ना होने से, हां आज कुछ महसूस किया तेरे उसके साथ होने से, खुश ज्यादा हूं तेरे मेरे पास ना होने से. ©Mayank Baghmar

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