“भंवर” मैं खुद को ऐसे आजमाता हूं चोट खा खा कर | हिंदी शायर

“भंवर”
मैं खुद को ऐसे आजमाता हूं
चोट खा खा कर मुस्कुराता हूं

मेरी आंखों में दिन निकलता है
रात को कहकशाँ बनाता हूं

मैं मुश्किलों में हंसना जानता हूं

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