हमें बिगड़ा हुआ ही रहने दो हमारा अब सुधरने का मन न | हिंदी शायरी

"हमें बिगड़ा हुआ ही रहने दो हमारा अब सुधरने का मन नहीं करता हम इश्तिहारी मुजरिम हैं चौकी थाने कोर्ट कचहरी से डर नहीं लगता ©Joginder Dahiya"

 हमें बिगड़ा हुआ ही रहने दो हमारा अब सुधरने का मन नहीं करता
हम इश्तिहारी मुजरिम हैं चौकी थाने कोर्ट कचहरी से डर नहीं लगता

©Joginder Dahiya

हमें बिगड़ा हुआ ही रहने दो हमारा अब सुधरने का मन नहीं करता हम इश्तिहारी मुजरिम हैं चौकी थाने कोर्ट कचहरी से डर नहीं लगता ©Joginder Dahiya

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