क़दम क़दम पे पुलिस का पहरा, घर गालियां हैरान हैं, | हिंदी कविता
"क़दम क़दम पे पुलिस का पहरा,
घर गालियां हैरान हैं,
नंगे पैर तपन सूरज की,
भूख बनी हैवान है,
जान की बाजी लगा दी जिसने
भारत के निर्माण में,
आज वो भूखा भटक रहा,
सारे हिन्दुस्तान में।
✍️ J K Gautam"
क़दम क़दम पे पुलिस का पहरा,
घर गालियां हैरान हैं,
नंगे पैर तपन सूरज की,
भूख बनी हैवान है,
जान की बाजी लगा दी जिसने
भारत के निर्माण में,
आज वो भूखा भटक रहा,
सारे हिन्दुस्तान में।
✍️ J K Gautam