"चिट्ठियाँ खो चुकी हैं सारी,
एहसास अब भी बाक़ी है।
तस्वीरें खों चुकी हैं सारी,
कल्पना अब भी बाक़ी है।
निशाँ खो चुकी हैं सारी,
छुअन अब भी बाक़ी है।
लम्हें खो चुकी हैं सारी,
यादें अब भी बाक़ी है।।
-ऋतिक कुमार वर्मा"
चिट्ठियाँ खो चुकी हैं सारी,
एहसास अब भी बाक़ी है।
तस्वीरें खों चुकी हैं सारी,
कल्पना अब भी बाक़ी है।
निशाँ खो चुकी हैं सारी,
छुअन अब भी बाक़ी है।
लम्हें खो चुकी हैं सारी,
यादें अब भी बाक़ी है।।
-ऋतिक कुमार वर्मा