White कलयुग के इस युग में, नारी का सम्मान नही, ह | हिंदी कविता

"White कलयुग के इस युग में, नारी का सम्मान नही, हर रोज़ ये बन जाते है दुशासन जघन्य अपराध से भी डरते नहीं , ना ही भय करनी का है। द्वेष दुर्भाव मिटाने को, कृष्ण अब तुम अवतार लो l जो रची है सृष्टि तुमने, अब उसका उद्धार करो। दूध दही अनमोल रत्न त्याग कर मांस मदिरा के नशे में चूर है, चार पैसों को चकाचौंध में, बने कितने अभिमानी है। अब बस सारथी बन कर, भटको को राह दिखलानी है। जो रची है सृष्टि तुमने, अब उसका उद्धार करो। ©Sakshi Shankhdhar"

 White 

कलयुग के इस युग में,
नारी का सम्मान नही,
हर रोज़ ये बन जाते है दुशासन 
जघन्य अपराध से भी डरते नहीं ,
ना ही भय करनी का है।
द्वेष दुर्भाव मिटाने को,
 कृष्ण अब तुम अवतार लो l
जो रची है सृष्टि तुमने,
अब उसका उद्धार करो।


दूध दही अनमोल रत्न त्याग कर 
मांस मदिरा के नशे में चूर है,
चार पैसों को चकाचौंध में,
बने कितने अभिमानी है।
अब बस सारथी बन कर,
भटको को राह दिखलानी है।
जो रची है सृष्टि तुमने,
अब उसका उद्धार करो।

©Sakshi Shankhdhar

White कलयुग के इस युग में, नारी का सम्मान नही, हर रोज़ ये बन जाते है दुशासन जघन्य अपराध से भी डरते नहीं , ना ही भय करनी का है। द्वेष दुर्भाव मिटाने को, कृष्ण अब तुम अवतार लो l जो रची है सृष्टि तुमने, अब उसका उद्धार करो। दूध दही अनमोल रत्न त्याग कर मांस मदिरा के नशे में चूर है, चार पैसों को चकाचौंध में, बने कितने अभिमानी है। अब बस सारथी बन कर, भटको को राह दिखलानी है। जो रची है सृष्टि तुमने, अब उसका उद्धार करो। ©Sakshi Shankhdhar

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