किस बात से इतना हैरान हो रहे हो
मंजिल पर खड़े हो ओर परेशान हो रहे हो
तुम्हीं तो थे जिसने तय किया ये रास्ता
अब खुद से ही कैसे हुआ सवाल कर रहे हो
रास्ते पर कई खूबसूरत थे मोड़ मगर
तय तुम ही किया की करोगे सफर
देखो आ गये हो
अपने सपने को सच कर गये हो
तोड़ दिये तुम ने ही सारे बन्द
जो रूकावट थे मंजिल के
तो वरन करो तुम्हारे इस नव सृजन को
ये जो है तुम्हारा अपना है
तुम पग के शूलों को धूल समझ कर आगे बढ़े
तुम काली निशा में भी बस चलते रहे
पीर को चीर कर शिखर तक आ गये हो
लेखनी में शब्दों को पिरो गये हो
प्रेम, विरह या हो जीवन के गीत
तुम ने शब्दों में सबको दिया खींच
फिर इस यात्रा को स्वीकार करो
सुशील से क्षितिज राज को वरन करो
ये तुम हो तुम्हीं हो स्वीकार करो
©sushil mishra
#life