कहीं नज़र में आये तो अच्छा घर खानदान बताना
बेटी की ज़िंदगी का सवाल है नेक इंसान बताना
वज़ह सबूत ही सही कुछ ज़ख्म छुपा रख्खे हैं
वो क़ातिल लौट आये तो मेरे निशान बताना
कब तक घुमड़ते उमड़ते ही रहोगे तुम
बादलों बरस के अपनी पहचान बताना..
मैं कह दूंगा तुम्हें तुम्हारी ख़ुशी के लिए जमीं
तुम भी मुझे शौहरतों का आसमान बताना
यूँ तो शहर के नामी रईसों में शुमार है वो
पर कहता है मेरा तारुफ़ केवल किसान बताना
तू किस प्रान्त से है मुझे फर्क नहीं पड़ता मगर
कोई गैर पूछे तो पता हिन्दोस्तान बताना
©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
#आजाद ग़ज़ल