Unsplash दिल में कई राज छुपाए बैठा हूं
समझ सको तो समझ लेना
एक अनसुलझी शिकायत
सुलझाए बैठा हूं
कशिशों के मंजर में सैर करती नांव
झील को गुलशन सा सजाए बैठा हूं
जज्बातों का तूफ़ान कभी वीरान तो
कभी अंजान है..........
पढ़ लो तुम सुकून से
हर अरमान जलाए बैठा हूं
हर धड़कन से गुजरता है ख्याल आपका
इन धड़कनों को मै ग़ज़ल सुनाए बैठा हूं
दिल में कई अरमान छुपाए बैठा हूं।
©Lalit Saxena
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