तुम्हे सोचते हुए जीना, इस आदत को, बदल रहा हूँ मैं. | हिंदी Shayari

"तुम्हे सोचते हुए जीना, इस आदत को, बदल रहा हूँ मैं... धीरे ही सही, यादों के, गलियारों से, निकल रहा हूँ मैं... बेवज़ह की आस पाले हुए था, आंखे अपनी मूंदे हुए था, मुद्दतों ख़ुद को झुठलाता रहा, सच, अब अपना रहा हूँ मैं... चल पड़ा हूँ, तो वाज़िब, कोई ठिकाना मिल ही जायेगा, ज़रा मुश्किल तो है, पर अब ये कोशिश, कर रहा हूँ मैं... मुझे यूं तन्हा कर, मुझसे दूर होना, ख़ता थी तुम्हारी, तुमसे इश्क़ करने की, ख़ुद को सज़ा दे रहा हूँ मैं... ©Bhushan Rao...✍️"

 तुम्हे सोचते हुए जीना, इस आदत को, बदल रहा हूँ मैं...
धीरे ही सही, यादों के, गलियारों से, निकल रहा हूँ मैं...

बेवज़ह की आस पाले हुए था, आंखे अपनी मूंदे हुए था,
मुद्दतों ख़ुद को झुठलाता रहा, सच, अब अपना रहा हूँ मैं...

चल पड़ा हूँ, तो वाज़िब, कोई ठिकाना मिल ही जायेगा,
ज़रा मुश्किल तो है, पर अब ये कोशिश, कर रहा हूँ मैं...

मुझे यूं तन्हा कर, मुझसे दूर होना, ख़ता थी तुम्हारी,
तुमसे इश्क़ करने की, ख़ुद को सज़ा दे रहा हूँ मैं...

©Bhushan Rao...✍️

तुम्हे सोचते हुए जीना, इस आदत को, बदल रहा हूँ मैं... धीरे ही सही, यादों के, गलियारों से, निकल रहा हूँ मैं... बेवज़ह की आस पाले हुए था, आंखे अपनी मूंदे हुए था, मुद्दतों ख़ुद को झुठलाता रहा, सच, अब अपना रहा हूँ मैं... चल पड़ा हूँ, तो वाज़िब, कोई ठिकाना मिल ही जायेगा, ज़रा मुश्किल तो है, पर अब ये कोशिश, कर रहा हूँ मैं... मुझे यूं तन्हा कर, मुझसे दूर होना, ख़ता थी तुम्हारी, तुमसे इश्क़ करने की, ख़ुद को सज़ा दे रहा हूँ मैं... ©Bhushan Rao...✍️

#बदल_रहा_हूँ_मैं
#NojotoWriter
@Sanju Singh Raj choudhary "कुलरिया" Sudha Tripathi @Adhury Hayat Amita Tiwari dhyan mira internet jocky asmita singh manpreetkang rahil sarika aditi agrawal

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