ज़हन, दिल, दिमाग सब पर नशा छाया है दौलत का; अब आदम | हिंदी विचार

"ज़हन, दिल, दिमाग सब पर नशा छाया है दौलत का; अब आदमी इसलिए इस दौर में आदमी नहीं रहा। ©Ravi Aftab"

 ज़हन, दिल, दिमाग सब पर नशा छाया है दौलत का;

अब आदमी  इसलिए इस दौर  में आदमी  नहीं रहा।

©Ravi Aftab

ज़हन, दिल, दिमाग सब पर नशा छाया है दौलत का; अब आदमी इसलिए इस दौर में आदमी नहीं रहा। ©Ravi Aftab

#दौलत #आदमी

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