पारिवारिक आर्थिक, सामाजिक मानसिक शारीरिक,
सारी जिम्मेदारियों का बोझ आपने सिर पे
प्रत्येक समस्यायों से अकेले जूझता मर्द
वो अन्दर ही अन्दर घुटता और अपनी तकलीफें खुद ही solve करता मर्द,
लोग कहते हैं मर्द है अरे मर्द है तो क्या हुआ मर्द को भी दर्द
होता है साहब,
जिंदगी की जंग लड़ते लड़ते आखिर वो भी थक जाता है
मर्द का भी मन करता रोने का,
आखिर वह भी तो इंसान है उसके सीने में भी तो दिल है,
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©Vandana Mishra
🥺❤️