टूट जाए हालतो के डर से ऐसि कस्ती बनाई नही है और | हिंदी Shayari

"टूट जाए हालतो के डर से ऐसि कस्ती बनाई नही है और जो झुका सके हमारे ईरादो को ऐसी तुफान अभी तक आई नही है ©RISHAV KUMAR SINGH"

 टूट जाए हालतो के डर से
ऐसि कस्ती बनाई नही है 

और जो झुका सके हमारे ईरादो को
ऐसी तुफान अभी तक आई नही है

©RISHAV KUMAR SINGH

टूट जाए हालतो के डर से ऐसि कस्ती बनाई नही है और जो झुका सके हमारे ईरादो को ऐसी तुफान अभी तक आई नही है ©RISHAV KUMAR SINGH

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