मुक़द्दर है, कि ख़्वाब देख सकते हो उनका क्या जिन्हे | हिंदी Shayari

"मुक़द्दर है, कि ख़्वाब देख सकते हो उनका क्या जिन्हें नींद भी नसीब नहीं वो दरिया भी क्या दरिया, जिन्हें कहीं समुंदर तो कहीं ज़मी भी नसीब नहीं ।। ©aawazdoabhi"

 मुक़द्दर है, कि ख़्वाब देख सकते हो
उनका क्या जिन्हें नींद भी नसीब नहीं 
वो दरिया भी क्या दरिया, जिन्हें कहीं
समुंदर तो कहीं ज़मी भी नसीब नहीं ।।

©aawazdoabhi

मुक़द्दर है, कि ख़्वाब देख सकते हो उनका क्या जिन्हें नींद भी नसीब नहीं वो दरिया भी क्या दरिया, जिन्हें कहीं समुंदर तो कहीं ज़मी भी नसीब नहीं ।। ©aawazdoabhi

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