सजदे में तेरे झुक जाए हम
ज़ुल्फ की छाव में रहने का
तेरे होठों से होंठ मिलाने का
तेरी बाहों में सो जाने का
कभी हमें भी दो ये मौका।
तेरे माथे पर वो बिंदिया
तेरे माथे की वो कुमकुम
तेरे सोने जैसे वो बाल
वो उस बातों को सवारता रहूं मैं
कभी हमें भी दो ये मौका।
नज़्म में तुझको दिल दे जाने का
गाजे में तेरे गीत गुनगुनाने का
दुल्हन बन के तुम्हारे घर आजाने का
सुहाग की सेज पर हमको प्यार जलाने का
कभी हमें भी दो ये मौका।
सुबह आंख खुले तो तेरे दीदार का
बाहों में सुलगते से जिस्म का
मांग में सिंदूर भर देने का
सुबह की चाय रात की साथ में पल
कभी हमें भी दो ये मौका।
©Swastika Shree
कभी हमें भी दो ये मौका।
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