शीर्षक- अब नहीं हम आयेंगे ----------------------- | हिंदी लव

"शीर्षक- अब नहीं हम आयेंगे ------------------------------------------------------------------ अब नहीं हम आयेंगे, कभी मिलने यहाँ तुमसे। अब नहीं होगी मुलाकात, फिर कभी यहाँ तुमसे।। हम थे परदेशी यहाँ पर, फिर से परदेशी हुए। जा रहे हैं होकर विदा, अब दूर हम तुमसे।। अब नहीं हम आयेंगे---------------------------।। कोई अफसोस हो तुमको, कहा नहीं जो हमसे अब तक। बात वह कह दो अब हमसे, चुप रहोगे आखिर कब तक।। ताकि तुमको रहे नहीं कल, शिकायत कोई भी हमसे। अब नहीं हम आयेंगे---------------------------।। तुम लगे हमको अपने, तुमसे यह प्यार हो गया। रहे करीब हम इतने, हमको वास्ता तुमसे हो गया।। लेकिन अब हम है मजबूर, जाना होगा हमें यहाँ से। अब नहीं हम आयेंगे-------------------------।। माफ कर देना हमको, खता गर कभी हमसे हुई हो। कभी गर दिल दुःखाया हो, जुल्म गर हमसे हुआ हो।। रहना आबाद सदा तुम खुश, कहो जी.आज़ाद हमसे। अब नहीं हम आयेंगे--------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma"

 शीर्षक- अब नहीं हम आयेंगे 
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अब नहीं हम आयेंगे, कभी मिलने यहाँ तुमसे।
अब नहीं होगी मुलाकात, फिर कभी यहाँ तुमसे।।
हम थे परदेशी यहाँ पर, फिर से परदेशी हुए।
जा रहे हैं होकर विदा, अब दूर हम तुमसे।।
अब नहीं हम आयेंगे---------------------------।।

कोई अफसोस हो तुमको, कहा नहीं जो हमसे अब तक।
बात वह कह दो अब हमसे, चुप रहोगे आखिर कब तक।।
ताकि तुमको रहे नहीं कल, शिकायत कोई भी हमसे।
अब नहीं हम आयेंगे---------------------------।।

तुम लगे हमको अपने, तुमसे यह प्यार हो गया।
रहे करीब हम इतने, हमको वास्ता तुमसे हो गया।।
लेकिन अब हम है मजबूर, जाना होगा हमें यहाँ से।
अब नहीं हम आयेंगे-------------------------।।

माफ कर देना हमको, खता गर कभी हमसे हुई हो।
कभी गर दिल दुःखाया हो, जुल्म गर हमसे हुआ हो।।
रहना आबाद सदा तुम खुश, कहो जी.आज़ाद हमसे।
अब नहीं हम आयेंगे--------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

शीर्षक- अब नहीं हम आयेंगे ------------------------------------------------------------------ अब नहीं हम आयेंगे, कभी मिलने यहाँ तुमसे। अब नहीं होगी मुलाकात, फिर कभी यहाँ तुमसे।। हम थे परदेशी यहाँ पर, फिर से परदेशी हुए। जा रहे हैं होकर विदा, अब दूर हम तुमसे।। अब नहीं हम आयेंगे---------------------------।। कोई अफसोस हो तुमको, कहा नहीं जो हमसे अब तक। बात वह कह दो अब हमसे, चुप रहोगे आखिर कब तक।। ताकि तुमको रहे नहीं कल, शिकायत कोई भी हमसे। अब नहीं हम आयेंगे---------------------------।। तुम लगे हमको अपने, तुमसे यह प्यार हो गया। रहे करीब हम इतने, हमको वास्ता तुमसे हो गया।। लेकिन अब हम है मजबूर, जाना होगा हमें यहाँ से। अब नहीं हम आयेंगे-------------------------।। माफ कर देना हमको, खता गर कभी हमसे हुई हो। कभी गर दिल दुःखाया हो, जुल्म गर हमसे हुआ हो।। रहना आबाद सदा तुम खुश, कहो जी.आज़ाद हमसे। अब नहीं हम आयेंगे--------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

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