जीने की आरजू तो अब खत्म हो गई दिल भी वीरानों में भ | हिंदी Shayari

"जीने की आरजू तो अब खत्म हो गई दिल भी वीरानों में भटकने लगा है अब किशी को अपना बनाना अच्छा नहीं लगता अपना बनकर ही हर कोई यहाँ डसने लगा है ©VIRAT TIWARI"

 जीने की आरजू तो अब खत्म हो गई
दिल भी वीरानों में भटकने लगा है 
अब किशी को अपना बनाना अच्छा नहीं लगता 
अपना बनकर ही हर कोई यहाँ  डसने लगा है

©VIRAT TIWARI

जीने की आरजू तो अब खत्म हो गई दिल भी वीरानों में भटकने लगा है अब किशी को अपना बनाना अच्छा नहीं लगता अपना बनकर ही हर कोई यहाँ डसने लगा है ©VIRAT TIWARI

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