एक लड़का जो बहुत खुश रहा करता था। पखों को फैलाकर | English Shayari

"एक लड़का जो बहुत खुश रहा करता था। पखों को फैलाकर हवा संग उड़ा करता था। खुद हस्ता था दूसरों को हसाया करता था। हर खुशी को दूसरों पर लुटाया करता था। अब वो टूटे हुए फूल की तरह मुरझा गया। उदासियों के समंदर में अब वो समा गया। किसी के ख्यालातों में हर पल गुम रहता है। टूटे दिल के दर्द को अब निरंतर सहता है। पता नहीं कौन इतना पत्थर दिल रहा होगा। जिसने भी मुंह मोड़कर अलविदा कहा होगा। उसके हर ख्वाब को पैरों तले कुचल गया। हस्ते खेलते चेहरे को अश्कों में बदल गया। किसी इंसा की तस्वीर लिए भटकता रहता है। किसी की यादों के फंदे पर लटकता रहता है। दिन रात विरह की आग में जलता जा रहा है। जिंदगी का सूरज तेजी से ढलता जा रहा है। तनहाई उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही है। धीरे-धीरे मौत उसको गले लगाए जा रही है। ©ਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ (RAVI)"

 एक लड़का जो बहुत खुश रहा करता था।
 पखों को फैलाकर हवा संग उड़ा करता था।

खुद हस्ता था दूसरों को हसाया करता था।
हर खुशी को दूसरों पर लुटाया करता था।

अब वो टूटे हुए फूल की तरह मुरझा गया।
उदासियों के समंदर में अब वो समा गया।

किसी के ख्यालातों में हर पल गुम रहता है।
टूटे दिल के दर्द को अब निरंतर सहता है।

 पता नहीं कौन इतना पत्थर दिल रहा होगा।
 जिसने भी मुंह मोड़कर अलविदा कहा होगा।

उसके हर ख्वाब को पैरों तले कुचल गया।
हस्ते खेलते चेहरे को अश्कों में बदल गया।

किसी इंसा की तस्वीर लिए भटकता रहता है।
किसी की यादों के फंदे पर लटकता रहता है।

 दिन रात विरह की आग में जलता जा रहा है।
जिंदगी का सूरज तेजी से ढलता जा रहा है।

तनहाई उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही है।
धीरे-धीरे मौत उसको गले लगाए जा रही है।

©ਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ (RAVI)

एक लड़का जो बहुत खुश रहा करता था। पखों को फैलाकर हवा संग उड़ा करता था। खुद हस्ता था दूसरों को हसाया करता था। हर खुशी को दूसरों पर लुटाया करता था। अब वो टूटे हुए फूल की तरह मुरझा गया। उदासियों के समंदर में अब वो समा गया। किसी के ख्यालातों में हर पल गुम रहता है। टूटे दिल के दर्द को अब निरंतर सहता है। पता नहीं कौन इतना पत्थर दिल रहा होगा। जिसने भी मुंह मोड़कर अलविदा कहा होगा। उसके हर ख्वाब को पैरों तले कुचल गया। हस्ते खेलते चेहरे को अश्कों में बदल गया। किसी इंसा की तस्वीर लिए भटकता रहता है। किसी की यादों के फंदे पर लटकता रहता है। दिन रात विरह की आग में जलता जा रहा है। जिंदगी का सूरज तेजी से ढलता जा रहा है। तनहाई उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही है। धीरे-धीरे मौत उसको गले लगाए जा रही है। ©ਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ (RAVI)

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