ये सर्द रात और हल्की बूंदाबांदी
आसमान पर लगा
बादलों का जमघट
घर की दीवारों पर
तुम्हारी यादों-सी
चढ़ आयी ये सीलन
दूर कहीं पार्श्व में बजता
90 के दशक का गीत
और मैं...
अपने सीने से लगाए
लेटा हूँ एक किताब
जिसमें भरी हैं कई यादें...
कुछ अनकही बातें...
कुछ अधूरे ख़त...
और आँखों के कोर से
ढुलकता हुआ एक मोती
©iamkumargourav
©Gourav (iamkumargourav)
ये सर्द रात और हल्की बूंदाबांदी
आसमान पर लगा
बादलों का जमघट
घर की दीवारों पर
तुम्हारी यादों-सी
चढ़ आयी ये सीलन
दूर कहीं पार्श्व में बजता
90 के दशक का गीत