गीत
है ज़िन्दगी तू मेरी तू साथ मेरे चलना
चाहा है तुझको मैंने, तू साथ मेरे चलना ।।
तेरे लिए ही मैंने छोड़ी है सारी दुनियां
हर दर्द को चुराकर, तू साथ मेरे चलना ।।
है नफरतों की महफ़िल मैदान-ए-जंग में
प्रीति गिरा के मुझपर, तू साथ मेरे चलना ।।
कंकड़ चुभाके दुनियां खुशहाल चाहती होना
तू रहा को बदलकर, तू साथ मेरे चलना ।।
मिल जाएं ‘राज’ दिल जो चंचल सी भंवर में
फिर मिल मनाएं खुशियां, तू साथ मेरे चलना राज की बात
©Rajesh kumar shastri
राज की बात