बीते सावन कई , मगर वो लौटके ना आये। झुल तो आज भी प | हिंदी शायरी Video

"बीते सावन कई , मगर वो लौटके ना आये। झुल तो आज भी पड़ती है, मगर हमें कौन झुलाये। इस जिस्म को तो, अपना कहने वाले बोहत है नोहरा, इस दर्द को कौन अपनाये। ©Suneel Nohara "

बीते सावन कई , मगर वो लौटके ना आये। झुल तो आज भी पड़ती है, मगर हमें कौन झुलाये। इस जिस्म को तो, अपना कहने वाले बोहत है नोहरा, इस दर्द को कौन अपनाये। ©Suneel Nohara

दर्द को कौन अपनाये, @vineetapanchal @puja udeshi @Anupriya अदनासा- @Anshu writer

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