Unsplash सीखने की जिज्ञासा कहाँ रुकती है
कहने को आता है सब कुछ पर
कसक कहीं रह जाती है....
उमर के तवोजों से चुप हो जाते है
आत्मा में लालसा है जब आगे बढ़ने की
तो उसकी जिज्ञासा से कहाँ रुक जाती है...
मत चोट दिया करो खुद को के आता नहीं
दूसरों से पूछ लेने से भी जिज्ञासा कहाँ
मन से खत्म हो जाती है...
जिज्ञासा मन में रखने से जिज्ञासा आती नहीं
जो पूछते है बार - बार प्रश्न उनके मन में डर की कमी कहाँ रहती है...
अगर होती ना खोजवृति हमारे पूर्वजों में
तो पद्य से आते नहीं हम वाहनों में, बिजली विभाग होता नहीं तो हम वार्तालाप करते ना मोबाइलों में...
अब समझ आ गया होगा जीवन में खोजवृति जरूरी है, चाहें जिन्दगी में हो, किताबों में, या अपनी पसंदीदा चीजों में ....
खोजवृति में ऐसा इंसान खो गया, बाहर को( दूसरों को) खोजते - खोजते खुद को भूल
गया, मोबाइल ने समेट दी सारी दुनिया अपनी दुनिया ही भूल गया..
©Malwinder kaur Mmmmalwinder
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