मैं यक़ीन का चश्मा लगाए हुए हूँ,
टूटे ख़्वाबों को तकिये तले छुपाए हुए हूँ !
मैं रूठ बैठा हूँ खुदसे ही,
मैं ख़ुद ही ख़ुद को मनाए हुए हूँ !
मैं ठीक हूँ , मुझे कुछ हुआ नहीं,
मैं उम्मीद ख़ुद से एक लगाए हुए हूँ !
एक दौड़ नहीं है जिंदगी, की जीतना ज़रूरी है,
मैं ख़ुद को ये बात समझाए हुए हूँ!
यक़ीन है मुझे, की ख़्वाब मेरे नज़दीक ही है,
बस अब मैं कोशिशों को गले लगाए हुए हूँ !
मैं यक़ीन का चश्मा लगाए हुए हूँ,
मुस्कुराहटों से दोस्ती निभाए हुए हूँ .. !
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©SamWordWines
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