ना जाने कितनी हसरतों को छिपा लिया दिल ने, इसका अप

"ना जाने कितनी हसरतों को छिपा लिया दिल ने, इसका अपना दायरा भी सिमट रहा है दिन- ब- दिन।।"

 ना जाने कितनी हसरतों को छिपा लिया दिल ने, 
इसका अपना दायरा भी सिमट रहा है दिन- ब- दिन।।

ना जाने कितनी हसरतों को छिपा लिया दिल ने, इसका अपना दायरा भी सिमट रहा है दिन- ब- दिन।।

दास्ताँ-ए-दिल ❤

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