थी जिनसे इतनी अनजान मैं,
ना सोचा था की उनही से प्यार हो जाएगा|
जो रहते थे एक वक़्त में कोसौ दूर हमसे,
ना सोचा था की उनही के बिना एक पल भी रहना दुशवार हो जाएगा|
मुदत्तों तक ना थी मामुली सी भी बात तक जिनसे,
ना सोचा था की उनही से मोहब्बत का इज़हार हो जाएगा|
थी जिनके एहसास से आज तक ना-वाकिफ मैं
ना सोचा था की उनका दिल भी मेरे ही लिए बे-करार हो जाएगा|
Bareera Iram.
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