क्या सोचा था...... क्या हुआ है
किस्मत में मेरे .......और क्या - क्या लिखा है
थामा ही था मैंने....... जैसे ही रिश्तों का डोर ,
और फिर हाथ छूटा....... जो मिल ना पाए दोबारा
आईने के जैसे टूटा , मेरा हर ख्वाब
जिंदगी जीने से पहले , मिली ये जुदाई ........
अपनी कहानी का क्यों है ये अंजाम
खोई हूँ उसके ही यादों में , दिल सुबह-शाम......
फिर भी लिख ना पाऊ , मैं उसका नाम......
क्या सोचा था...... क्या हुआ है ???????
- ✍ शालिनी सिंह
©Shalini Singh