White ग़र मेरे प्यार, मेरे लगाव को कभी समझ नहीं सकी,
तो फिर...
मेरे गुस्से, मेरी ख़ामोशी को तो कैसे ही समझोगी तुम।
ग़र आज अगर मेरी चुप्पी को भी समझ ही नहीं पायी,
तो फिर मुझे तो कैसे ही समझ पाओगी तुम,
बेहतर है ना कि हम एक-दूसरे से अलग हो जाएं।।
डॉ दीपक कुमार 'दीप'
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©Dr Deepak Kumar Deep
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