गुमसुम सा इश्क मेरे पन्नों में अभी भी बोलता है .
दफ़न राजों के पिटारे जहन आज भी खोलता है .
अल्मीरा से तेरे खतों की खुशबु आज भी आती है .
चिट्ठियां तेरी निकलने को आज भी फडफ़ड़ाती है .
इश्क़ का खुमार पर अब नही छाता है .
याद तो आती है पर प्यार नही आता है.
जा किसी और को अब अपना वास्ता देदे.
मेरे बीच में न आ अब मुझे आगे बढ़ने का रास्ता देदे.
@_गुमनाम_यादें
अमन