दिल एक मुसीबत
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दिल खुद एक मुसीबत है करें क्या,
चाहते तो नहीं चाहना उन्हें पर करें क्या।
हम उनके बिना मर तो सकते है,
पर साथ उनके जीना चाहते हैं, करें क्या।
दिन तो कट जाता है रात मुसीबत है करें क्या,
रोकते बहुत है पर दिल रूकता नहीं है करें क्या।
सोचते है अब दीदार नहीं करेगें उनका,
पर कमबख्त़ चाँद रोज छत पर निकल आता है करें क्या।
उनकी आँखें तो ठीक काजल मुसीबत है करें क्या,
सोचते है नहीं सोचना उन्हें पर करें क्या।
तय किया है अबके उनकी ज़ुल्फों में ना उलझेंगे,
पर दिल उनके झुमके पर अटक जाता है करें क्या।
©Anil Yatri
दिल
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