समय का परिवर्तन, है ये अदभुत जीवन।
कभी धूप कभी छाँव, नित नया सृजन।।
मात-पिता का सानिध्य, थे संग भाई बहन।
विद्यालय की मस्ती, ना कोई निर्वहन।
दोस्तो संग वाद विवाद, थी मस्ती गहन।
ये था बचपन मेरा, नही जो अब जहन।।
समय चक्र निरंतर, कभी सौर कभी चंद्र ग्रहण।
अलबेला पतझड़ अल्प क्षण, नौकर बन सहन।
पथ दर पथ पद दर पद, सुन अपनी कहन।
उद्देश्य ऊँचा लक्ष्य एक, बस यही मेरे जहन।
मजा लेना इंद्रधनुष का, कर बारिश को वहन।
ऋतुओ के आवागमन में, रख अपने को प्रहण।
परिणीता संग सुत स्नेह, बस यही मेरे जहन।
जीवन के नूतन वर्ष में, प्रण करने का दहन।
समय का परिवर्तन, है ये अदभुत जीवन।
कभी धूप कभी छाँव, नित नया सृजन।।
©Udit Vashistha
जन्मदिन की नूतन वेला
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