जमीं से दूर आसमां में
जाने कहांँ जाकर खो गई वो
सितारों के बीच बनकर एक सितारा।।
बंद करूंँ जो पलकें
यादों के प्रकाश कुंज में
टिमटिमाता आज भी वो सितारा।।
कई वर्षों पहले ही
ज़िन्दगी का एक पन्ना
शायद लिखा ही गया था अधूरा।।
तभी तो यह नसीब
अपना खेल खेल गया
और उनसे साथ छूट गया हमारा।।
चली गई वो संसार से
कभी ना लौट आने के लिए
हो गई दो मासूम बेटियांँ बेसहारा।।
दूध पीती मासूम बेटियांँ
मांँ को ढूंँढती जिनकी अखियांँ
रह गया मांँ के बिना बचपन उनका कोरा।।
छूट गया मांँ का आंँचल
माँ की लोरी और वो छांँव शीतल
छूटा उन हाथों का झूला जो लगता था प्यारा।।
यादों में वो हम सबके
बसी है खूबसूरत एहसास बनकर
कितना भी पुकार लें हम नहीं आएगी दुबारा।।
कभी-कभी आसमान में यूँ ही
देखकर उन्हें पुकारने का करता है मन
तो वो भी समझ जाती है शायद यह इशारा।।
हर सितारे से अलग चमकता
मानो हमसे कुछ कहना है चाहता
और मुस्कुराकर टिमटिमाता वो सितारा।।
©Mili Saha
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