Jai shree ram श्रीरामचरितमानस
बिनु सतसंग न हरि कथा तेहि बिनु मोह न भाग। मोह गए बिनु राम पद होइ न दृढ़ अनुराग ॥
सत्संग के बिना हरि की कथा सुनने को नहीं मिलती, उसके बिना मोह नहीं भागता और मोह के गए बिना श्री रामचंद्रजी के चरणों में दृढ़ (अचल) प्रेम नहीं होता।
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