यह बात विचार करने योग्य है कि जिन लोगों ने दुनियावी शिक्षा प्राप्त करने में अपनी पूरी जिंदगी बिता दी, लेकिन अल्लाह के धर्म को समझने के लिए मूलभूत अरबी भाषा भी नहीं सीख सके, वे अल्लाह के समक्ष क्या जवाब देंगे? हम दुनियावी शिक्षा प्राप्त करने के लिए 20 साल तक लगा देते हैं और धन कमाने के लिए हर प्रकार की विदेशी भाषा सीखने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, लेकिन अल्लाह के पवित्र कलाम को समझने के लिए अरबी भाषा सीखने की कोशिश तक नहीं करते, तो इसका सीधा अर्थ यह है कि हमारी नजर में अल्लाह के कलाम की कोई कद्र नहीं है। अपने इस व्यवहार से हम कुरआन (قرآن) की तौहीन / अपमान के दोषी हो रहे हैं, जो बहुत बड़ा अपराध है।
©Arshad Mushtaq Nadwi
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