मैं लिखता रहा अश्क धोते रहे। सफे किस्मत के खुद पे | हिंदी शायरी

"मैं लिखता रहा अश्क धोते रहे। सफे किस्मत के खुद पे रोते रहे। हम सुनाते रहे दास्तां दिल की अपनी। रात सारी सिर कंधे पे रख वो सोते रहे। उन्हें लगता था हम जिंदा है पर थे नहीं। अपनी ही लाश हम कंधों पर ढोते रहे। सुदेश दीक्षित ©Varun Vashisth"

 मैं लिखता रहा अश्क धोते रहे।
सफे किस्मत के खुद पे रोते रहे।

हम सुनाते रहे दास्तां दिल की अपनी।
रात सारी सिर कंधे पे रख वो सोते रहे।

उन्हें लगता था हम जिंदा है पर थे नहीं।
अपनी ही लाश हम कंधों पर ढोते रहे।

सुदेश दीक्षित

©Varun Vashisth

मैं लिखता रहा अश्क धोते रहे। सफे किस्मत के खुद पे रोते रहे। हम सुनाते रहे दास्तां दिल की अपनी। रात सारी सिर कंधे पे रख वो सोते रहे। उन्हें लगता था हम जिंदा है पर थे नहीं। अपनी ही लाश हम कंधों पर ढोते रहे। सुदेश दीक्षित ©Varun Vashisth

#sadak

People who shared love close

More like this

Trending Topic