बंधा प्रेम से मेरे हाथों रेशम का जो तार है,
भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है।
कितने रंग बदलते रिश्ते,
भीड़ में हस्ती खोते रिश्ते,
पल भर में ही शून्य हुए हैं
निज स्वारथ में ढलते रिश्ते,
रिश्तों की दुनिया दारी का तू सुंदर संसार है।
भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है।
कदम कदम पर साथ खड़ा है,
मुश्किल में आगे आन लड़ा है,
हो उम्र में आगे पीछे या संगी
पर बहनों से हर भाई बड़ा है
सारी रस्में पूरी करता कितना गहरा प्यार है।
भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है।
जब जब तेरे द्वार मै आऊं,
बचपन वाला आंगन पाऊं,
यादों से भीगे मन दर्पण
घर तेरे बहता सावन लाऊं,
पीहर से मै जो प्रीत निभाऊं तू उसका आधार है।
भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है।
रिंकी कमल रघुवंशी।
©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi
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