प्रदूषित मौसम" गर्मी है फ़ज़ाओं में हाय कई दिन | हिंदी कविता Vide

""प्रदूषित मौसम" गर्मी है फ़ज़ाओं में हाय कई दिन से कुछ लू सी हवाओं में बरसात कहे मुझसे काग़ज़ की कश्ती अब क्यों न बहे तुझसे पतवार उठे कैसे तेज़ हवाएँ हैं अब नाव बढ़े कैसे मौसम क्यों ना बदले ख़ूब किए हमने दूषण के हैं हमले कैंसर के रोग बढ़े लोग कई यारो दूषण की भेंट चढ़े भोजन में मिलावट है दूषित खाने से सेहत में गिरावट है हर-सू फैला कचरा सांस के रोग लगे सेहत को है ख़तरा सब मुद्दे ताक धरे काट दिए जंगल दिखते ना पेड़ हरे कुछ पेड़ लगाओ जी अब इस दूषण से धरती को बचाओ जी *** ©Manjeet Sharma 'Meera' "

"प्रदूषित मौसम" गर्मी है फ़ज़ाओं में हाय कई दिन से कुछ लू सी हवाओं में बरसात कहे मुझसे काग़ज़ की कश्ती अब क्यों न बहे तुझसे पतवार उठे कैसे तेज़ हवाएँ हैं अब नाव बढ़े कैसे मौसम क्यों ना बदले ख़ूब किए हमने दूषण के हैं हमले कैंसर के रोग बढ़े लोग कई यारो दूषण की भेंट चढ़े भोजन में मिलावट है दूषित खाने से सेहत में गिरावट है हर-सू फैला कचरा सांस के रोग लगे सेहत को है ख़तरा सब मुद्दे ताक धरे काट दिए जंगल दिखते ना पेड़ हरे कुछ पेड़ लगाओ जी अब इस दूषण से धरती को बचाओ जी *** ©Manjeet Sharma 'Meera'

#माहिया

People who shared love close

More like this

Trending Topic